साक्षात शिव के स्वरुप भगवान नंदीकेश्वर के आदर्शों को स्मरण करते हुए मैंने कुछ पंक्तियां तैयार किया है। 🌸
भक्ति हो नंदी जैसी, अडिग और निर्मल,
शिव चरणों में रहे मन, निष्काम और सरल।
न देखे स्वार्थ कोई, न चाहे निज सम्मान,
बस शिव के ध्यान में डूबा, हो हर एक प्राण।
सेवा हो नंदी जैसी, मौन में गूँजे स्वर,
जहाँ भी शिव विराजें, वहीं मेरा नज़र।
शिव की आज्ञा हो जीवन, वही मेरा धर्म,
उनके चरणों की रज ही, मेरा सारा कर्म।
धैर्य हो नंदी जैसा, ज्यों पर्वत अचल,
विपत्ति में भी मुस्काऊँ, न हो मन विकल।
शिव संकेत पे ही चलूँ, न हो कोई विकल्प,
समर्पण की उस डगर में, न हो मेरा संकल्प।
चेतना नंदी जैसी, निर्मल और गहन,
हर श्वास में शिव का नाम, हर पल उनका ध्यान।
नंदी के समान ही, सदा रहे अनुराग,
शिव में लीन हो जाए, मेरा यह समस्त भाग।
स्वरूप हो नंदी जैसा, शांति का हो वास,
भीतर बसे जो शिव, बाहर हो उजास।
न हो अहंकार तनिक भी, न हो मोह जाल,
शिवमय हो ये जीवन, वही हो मेरी चाल।
---------------------------------------------------------------------------
🌸 সাক্ষাৎ শিবের স্বরূপ ভগবান নন্দীশ্বরের আদর্শকে স্মরণ করে আমি কিছু পঙ্ক্তি রচনা করেছি। 👇
ভক্তি হোক নন্দীর মতো, অটল ও নির্মল,
শিবচরণে থাক মন, নিঃস্বার্থ ও সরল।
না দেখি কোনো স্বার্থ, না চাহি নিজ সম্মান,
শুধু শিবের ধ্যানে ডুবে থাক প্রতিটি প্রাণ।
সেবা হোক নন্দীর মতো, নীরবতায় বাজুক স্বর,
যেথায় শিব বিরাজেন, সেথায় থাক দৃষ্টি ভর।
শিবের আজ্ঞাই হোক জীবন, তাহাই হোক ধর্ম,
তাঁর চরণধূলিই হোক আমার সব কর্ম।
ধৈর্য হোক নন্দীর মতো, যেন পর্বত অচল,
বিপদে হাসিমুখে থাকি, না কাঁপে মনচল।
শিবের সংকেতে চলি, না থাক কোনো বিকল্প,
সমর্পণের সেই পথে, না থাক আমার সংকল্প।
চেতনা হোক নন্দীর মতো, নির্মল ও গভীর,
প্রতিটি শ্বাসে শিবের নাম, প্রতিটি ক্ষণে ধীর।
নন্দীর মতোই থাক ভালোবাসা অপার,
শিবে লীন হয়ে যাক আমার সমগ্র সংসার।
স্বরূপ হোক নন্দীর মতো, শান্তিতে থাক বাস,
অন্তরে যিনি শিব, বাহিরে তিনিই প্রকাশ।
না থাক অহংকার কণামাত্র, না থাক মোহজাল,
শিবময় হোক এই জীবন, তাহাই হোক আমার চাল।
শ্রী নন্দীকেশ্বরায় নমঃ।। 🚩
নমঃ শিবায়ৈ চ নমঃ শিবায়।। 🚩
#ISSGT
© শৌর্যনাথ শৈব। ( ISSGT)

Comments
Post a Comment